देहदान कर अमर हुए राजनाथ सिंह ‘सूर्य’

लखनऊ। अपनी लेखनी से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ ने आज जहां अपने आवास पर अंतिम सांस ली वहीं देहदान के कारण वह अमर हो गये। राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ ग्रामोदय से राष्ट्रोदय के शिल्पकार और युगदृष्टा दिग्गज राजनीतिज्ञ नानाजी देशमुख के करीबी थे। नानाजी का देहांत होने पर देहदान की खबर से प्रभावित होकर उन्होंने भी मृत्यु के उपरान्त अपनी देहदान का निर्णय किया था। उनके छोटे पुत्र सुनील सिंह ने बताया कि पिताजी प्रख्यात चिंतक और विचारक होने के साथ-साथ सामाजिक सरोकार को लेकर भी बेहद सजग थे। इसलिए उन्होंने किंग जॉर्ज चिकित्साविश्वविद्यालय (केजीएमयू) को मृत्यु के उपरान्त अपनी देहदान का निर्णय किया था। उनका मानना था कि लोगों को देहदान के प्रति जागरूक होना चाहिए। इस तरह मृत्यु के उपरान्त भी उनका शरीर मेडिकल छात्रों के काम आ सकेगा। इससे मेधावी डॉक्टर तैयार हो सकेंगे। आज सुबह राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ के निधन के बाद ही उनके परिजनों ने किंग जॉर्ज चिकित्साविश्वविद्यालय के एनॉटमी विभाग को इसकी सूचना दे दी। परिजनों के मुताबिक अपराह्न लगभग तीन बजे चिकित्सकों को देह सौंपी जायेगी। दरअसल मृत देह किसी काम की नहीं होती, लेकिन इसी मृत देह के जरिए मेडिकल छात्र काबिल डॉक्टर अवश्य बन सकते हैं। एमबीबीएस और बीडीएस की शिक्षा में मृत देह का ठीक वैसे ही महत्व है जैसे किसी मकान के निर्माण में नींव का। केजीएमयू के एनॉटमी विभाग के मुताबिक ऐसे जागरूक लोग जो यह समझते हैं कि मौत के बाद उनकी देह किसी के काम आए तो वह अपना पंजीकरण किसी भी मेडिकल शिक्षण संस्थान के एनाटॅमी विभाग में करवा सकते हैं। इसके लिए हर संस्थान में एक सहमति फॉर्म नि:शुल्क उपलब्ध है। फार्म भरने वाले शख्स को इसमें दो गवाह का भी ब्यौरा देना होता है। उनकी यह नैतिक जिम्मेदारी होती है कि पंजीकरण करवाने वाले व्यक्ति की मौत के बाद उसकी देह एनॉटमी विभाग को सौंपे। हालांकि यह दायित्व केवल नैतिक ही होता है। पंजीकरण फॉर्म भरने के बावजूद कोई ऐसा कानून नहीं जिसके जरिए मृत देह एनाटॅमी विभाग को मिले ही। कई बार विभिन्न कारणों से मृत्यु के उपरान्त देह नहीं मिल पाती है। एनाटॅमी विभाग में मृत देह को सुरक्षित रखने के लिए फार्मालिन व अन्य रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह मृत देह एनाटॅमी विभाग में रसायनों के जरिए वर्षों तक सुरक्षित रखी जा सकती है।

देहदान को लेकर औपचारिकताएं

  • सरकारी व गैर सरकारी चिकित्सा विश्वविद्यालयों, मेडिकल कॉलेजों का एनाटॅमी विभाग में एक घोषणा पत्र फॉर्म उपलब्ध रहता है। इस फॉर्म पर ही देहदान सहमति का घोषणा पत्र भरना होता है।
  • फॉर्म में देहदान करने वाले का नाम, पता, फोन नम्बर और सबसे नजदीकी रिश्तेदार का ब्योरा होता है।
  • इस फॉर्म की कोई कानूनी वैधता नहीं होती। इसे सिर्फ सहमति पत्र माना जाता है।
  • देहदान करने वाले व्यक्ति की मृत्यु के छह घंटे के अंदर संबंधित मेडिकल कॉलेज के एनाटॅमी विभाग को सूचना देनी होती है। इस अवधि में शव मिल जाने पर आंखों से कॉर्निया निकालकर दो लोगों के जीवन में रोशनी भी की जा सकती है।

गौरतलब है कि पूर्व राज्यसभा सदस्य, वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार और हिन्दुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज एजेंसी के निदेशक राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ का आज सुबह करीब साढ़े पांच बजे निधन हो गया। 82 वर्ष की उम्र में उन्होंने सुबह गोमतीनगर के पत्रकारपुरम स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली। वे शरीर में कंपन रोग से पीड़ित थे। उन्होंने काफी समय पहले से ही मेडिकल कॉलेज को अपनी देहदान की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है। अपने शोक सन्देश में मुख्यमंत्री ने कहा कि  राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ ने हमेशा जन सरोकारों को प्राथमिकता दी। उन्होंने अपनी कलम के माध्यम से जन हित और समाज हित से जुड़ें मुद्दों को निर्भीकता और निष्पक्षता से व्यक्त किया। राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ ने पत्रकार के तौर पर विभिन्न समाचार पत्रों में कार्य किया। स्तंभकार के रूप में उनकी विशिष्ट पहचान थी। उनके निधन से पत्रकारिता जगत को हुई क्षति की भरपाई होना कठिन है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शान्ति की कामना करते हुए स्व.राजनाथ सिंह ‘सूर्य’ के शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।

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